जरा "संभल" कर चले "क्योंकि"...!
"तारीफ" के "पुल" के नीचे "मतलब" की "नदी" बहती है...!!
थक कर बैठा हूँ...
हार कर नहीं..!!
सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है...
ज़िन्दगी नहीं.!!!!
मेहनत का फल
और
समस्या का हल
देर से ही सही पर मिलता जरूर है..
"वक़्त" और "अध्यापक"
दोनों हमें सिखाते है।
पर दोनों में फर्क
सिर्फ इतना है कि...
"अध्यापक" सिखा कर
"परीक्षा लेते हैं
और
"वक़्त" परीक्षा ले कर
"सिखाता" हैं।
एक दिन परमात्मा मुझसे बोले तुम्हें सब शिकायतें मुझसे ही हैं
मैनें भी सर झुका के कह दिया मुझे सब उम्मीदें भी तो आपसे हैं......
"सम्बन्धों की गहराई का हुनर"
"पेडों " से सिखिये...
जनाब
जड़ों में जख्म लगते ही,
शाखें सूख जाती हैं!!!
सब के दिलों का
एहसास अलग होता है...
इस दुनिया में सब का
व्यवहार अलग होता है...
आँखें तो सब की
एक जैसी ही होती है...
पर सब का देखने का
अंदाज़ अलग होता है
दुनिया वो किताब है,
जो कभी नहीं पढी़ जा सकती,
लेकिन जमाना वो अध्यापक है,
जो सबकुछ सिखा देता है !!
पूरी दुनिया जीत सकते हैं संस्कार से,
और जीता हुआ भी हार जाते हैं अहंकार से।
कोयल अपनी भाषा बोलती है,
इसलिये आज़ाद रहती हैं
किंतु तोता दूसरे कि भाषा बोलता है,
इसलिए पिंजरे में जीवन भर गुलाम रहता है
अपनी भाषा,
अपने विचार और
"अपने आप" पर विश्वास करें..!
सत्य पर चलनेवाले परेशान हो सकता हैं, पराजित नहीं