आर्यावलोकितेश्वरो बोधिसत्त्वो गंभीरायां प्रज्ञापारमितायां चर्यां चरमाणो व्यवलोकयति स्म । पंचस्कन्धाः । तांश्च स्वभावशून्यान्पश्यति स्म । इह शारिपुत्र रूपं शून्यता शून्यतैव रूपं रूपान्न पृथक्शून्यता शून्यताया न पृथग्रूपं यद्रूपं सा शून्यता या शून्यता
☆ Bengaclifftonia ☆, ☆ Bengaclifftonia ☆
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complicated
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